पुरातात्विक पर्यटन स्थल कुर्किहारगढ़
विकास से कोसों दूर है kurkihargadh
गढ़ असुरक्षित है ही, अविकसित भी
आलेख लेखक : अशोक कुमार अंज
बिहार सूबे के गया जिले का बौद्ध तीर्थस्थली सह पर्यटन स्थल कुर्किहारगढ़ प्राचीन ऐतिहासिक गढ़ है, परंतु यह पुरातात्विक स्थल वर्षों से विकास की राह जोह रहा है।
कुर्किहार की अतिप्राचीन बड़ी देवी
जो बिहार का ऐतिहासिक धरोहर है। यह गढ़ देशी-विदेशी सैलानियों का आकर्षण का केन्द्र है। यहां देशी-विदेशी पर्यटक भ्रमण के लिए बराबर आते-जाते रहते हैं। उस kurkihargadh में बुद्ध की बेशकीमती मूर्तियां दबी पड़ी है। विदित हो कि कुर्किहारगढ़ की खुदाई वर्ष 1932 में की गई थी, उस वक़्त अंग्रेजी हुकूमत थी। यह गढ़ गया जिला अंतर्गत वजीरगंज प्रखंड के कुर्किहार गांव में अवस्थित है।
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कुर्किहारगढ़ की खुदाई में निकली महात्मा बुद्ध की विशाल भव्य आकर्षक मूर्ति |
यह kurkihargadh पांच सौ वर्ग फीट में फैला है। यहां एक ठाकुरबाड़ी अवस्थित है, जो पौराणिक है। उस ठाकुरबाड़ी में प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और जानकी की अष्टधातु से निर्मित आकर्षक मूर्ति स्थापित है। वह मूर्तियां पालकालीन है।
ज्ञात हो कि गढ़ की खुदाई के दरम्यान बुद्ध की 232 मूर्तियां निकली थी। वह बुद्ध मूर्तियां पटना, गया, नवादा, कोलकाता, दिल्ली सहित लंदन के संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। प्रभु बुद्ध की एक मूर्ति भूमि स्पर्श मुद्रा के साथ ही साथ ध्यान मुद्रा में है।
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ग्रामीण संग्रहालयरूपी बड़ी देवीमंदिर में गढ़ की संरक्षित मूर्तियां |
वह बुद्ध मूर्तियां बेशकीमती बैसाल्ट काले पत्थर पर निर्मित है। जो काफी आकर्षक है हीं, भव्य भी। पर्यटक, kurkihargadh का परिभ्रमण कर आकर्षक व कलात्मक बुद्ध मूर्तियां को निहारते हैं।
जाहिर हो कि बेशकीमती कुर्किहारगढ़ को केन्द्रीय पर्यटन विभाग अपने कब्जे में ले रखा है। उस गढ़ की घेराबंदी कटीले तार से की गई है। लेकिन वह सुरक्षा की दृष्टिकोण से सुरक्षित नहीं है। गढ़ अतिक्रमण का शिकार भी बना है। यह गढ़ असुरक्षित है ही, अविकसित भी।
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कुर्किहारगढ़ से निकली हुई अनूठी मूर्तियां |
मालूम हो कि उस गढ़ की खुदाई पर प्रतिबंध लगी है क्योंकि गढ़ के अंदर बेशकीमती मूर्तियां दबी पड़ी है। खुदाई से निकली बुद्ध व अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों को ग्रामीण संग्रहालय सह देवी मंदिर में सहेज कर सुरक्षित रखा गया है। kurkihar गांव के गली सहित दीवारों पर बुद्ध की मूर्तियां चिपकाए हुए दिखते हैं। गांव के गलियों में मूर्तियां इधर- उधर बिखरी हुई नजर आतीं हैं।
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गढ़ की खुदाई में निकली आकर्षक मूर्तियां |
मान्यता ऐसी है उस जमाने में इस गढ़ में विशाल मूर्ति कला केन्द्र स्थापित था। जहां कुशल कारीगरों द्वारा आकर्षक मूर्तियां बनाई जाती थी। वहां से निकली बुद्ध मूर्ति पूजनीय है।
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कुर्किहारगढ़ की अनोखी बेजोड़ मूर्तियां |
लोग उस मूर्ति की पूजा-अर्चना करते हैं। गढ़ से सटे गांव के बड़ी देवी मंदिर में, वहां से निकली बेशकीमती मूर्तियों को सहेज कर रखा गया है। पर्यटन स्थल के तौर पर उत्थान होने से गढ़ निखरेगा ही, बेरोजगारों के लिए रोजगार का अवसर भी खुलेगा।
नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार सरकार
वहीं ग्रामीणों ने कहा कि यहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आए थे और विकास का भरोसा दिलाए थे हीं, गढ़ की खुदाई की भी बात कही थी परंतु अब तक विकास की आश लगाए हम सब बैठे हैं। आज भी वहां की जमीन की खुदाई में बेशकीमती मूर्तियां निकलती है।
इस गढ़ का विकास होने से बेरोजगारों को रोजगार का अवसर मिलेगा। बौद्धकालीन अद्भुत पर्यटन स्थल जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर की फासले पर है। वहीं वजीरगंज प्रखंड से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है।
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कुर्किहारगढ़ की ऐतिहासिक मूर्तियां |
आवागमन का साधन सुलभ है। रेल मार्ग के अलावे सड़क मार्ग बोधगया, कुर्किहार, तपोवन सहित राजगीर- नालंदा को जोड़ती है। यह गढ़ पर्यटन के मानचित्र पर तो है परंतु विकास से कोसों दूर है। यह स्थल अनोखा है हीं, अद्भुत भी। ऱाज्य और केंद्र सरकार को kurkihargadh पर विशेष ध्यान देकर विकसित करना चाहिए, जिससे पर्यटन स्थल चकाचक हो कर निखरे।
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अशोक कुमार अंज वर्ल्ड रिकार्डी जर्नलिस्ट |
अक्षरजीवी,
अशोक कुमार अंज
वर्ल्ड रिकार्डी जर्नलिस्ट
(फ़िल्मी पत्रकारबाबू)
आकाशवाणी-दूरदर्शन से अनुमोदित साहित्यकार- पत्रकार
वजीरगंज, गया- ८०५१३१, बिहार, इंडिया
kurkihargadh By Ashok Kumar Anj
प्रस्तुति : अंज न्यूज़ मीडिया, Presentation : AnjNewsMedia
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