जीविका के कार्यकारी अधिकारी बाला मुरगन डी ने की बैठक
गया जिले में नीरा उत्पादन एवं विपणन को बढ़ावा देने के उदेश्य से जीविका द्वारा वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से नीरा उत्पादन हेतु प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जीविका के कार्यपालक पदाधिकारी बाला मुरगन डी ने मीटिंग में जुड़कर सभी को राज्य में नीरा उत्पादन उत्पादन के विभिन्न चरणों के विषय में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गया में नीरा उप्तादन की अच्छी संभावना है। ताड़ी उत्पादन पर प्रतिबंध के बाद टोडी टैपर से जुड़े परिवारों को नीरा उत्पादन के लिए प्रेरित करते हुए वैकल्पिक जीविकोपार्जन जोड़ना राज्य के लोगों के हित में है। इस लक्ष्य के अनुरूप अच्छा कार्य करने वाले टैपर, उत्पादक समूह एवं विभिन्न कर्मियों को जिला स्तर पर प्रोत्साहित किया जायेगा। मीटिंग में भाग लेते हुए जिला पदाधिकारी महोदय त्यगराजन एसएम ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा की इसके टैपर का चयन कर उन्हें नीरा उत्पादन के विषय में उपयुक्त प्रशिक्षण देने आवश्यकता होगी। इसे मास्टर ट्रेनर के मध्यम से किया जा सकता है।
जिला परियोजना प्रबंधक जीविका द्वारा अवगत कराया गया कि गया में लगभग 14 लाख 57 हजार ताड़, 3 लाख 53 हजार खजूर एवं 2134 नारियल के पेड़ हैं। इन पेड़ों से 10 से 15 लाख लीटर नीरा उत्पादन किया जा सकता है। टैपिंग से जुड़े परिवारों को चिन्हित कर उन्हें उत्पादक समूह से जोड़कर नीरा एवं नीरा से जुड़े विभिन्न उत्पाद जैसे केक, गुड़ आदि बनाने के लिए प्रेरत किया जायेगा। 50 से 100 उत्पादक समूह समूह का निर्माण करते हुए नीरा उत्पादन एवं विपणन को बढ़वा देना है। मीटिंग में राज्य परियोजना प्रबंधक जीविका श्री मनोज कुमार ने नीरा उत्पादन बढ़ने के लिए अन्य राज्यों का उदाहरण देकर बताया कि महाराष्ट्र एवं तमिनलाडु में किस प्रकार कार्य किया जा रहा है। पशुपालन विभाग के डॉ संतोष द्वारा बताया गया कि नीरा को प्रोत्साहित करने की जरुरत है। जहाँ भी इसपर प्रशिक्षण दिया जा रहा हो नीरा के लाभकारी गुणों की चर्चा के साथ इसका डेमो टेस्ट भी कराया जाय।
नीरा उत्पादन में शीत भंडारण बेहदद जरुरी होता है ताकि इसे खमीरीकरण से रोका जाय। इसके लिए प्रयास करने होंगे। मीटिंग में कॉम्फेड के प्रबंधन निदेशक ने नीरा के रख रखाव हेतु गुरुआ के सेवा ग्राम में चल रहे 800 लीटर क्षमता वाले शीतक संयंत्र की मदद की पेशकश भी की। मीटिंग द्वारा जीविकोपार्जन कृषि प्रबंधक शमीम असलम ने भाग लेने वाले अधिकारीयों, प्रखंड परियोजना प्रबंधक, क्षेत्रीय समन्वयक एवं संभागीय प्रबंधकों को नीरा उत्पादन की प्रक्रिया एवं इसके लाभ के विषय में जानकारी दी।
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