जनता दरबार एवं ऐप समीक्षा
गया: ज़िला पदाधिकारी, गया डॉ० त्यागराजन एसएम ने आज जनता दरबार में आए हुए करीब 200 व्यक्तियों के मामले यथा भूमि विवाद, राशन कार्ड, दाखिल खारिज, वृद्धा पेंशन, संपत्ति बंटवारा, किसान फसल क्षति, भूमि अधिग्रहण का मुआवजा, सहारा कंपनी से पैसा निकासी, राजस्व कर्मचारी द्वारा कार्य में लापरवाही करने, भूदान के जमीन को कब्जा दिलवाने, किसानों से धान खरिदने, अनुकम्पा के मामले सहित अन्य मामलों को गंभीरतापूर्वक सुना तथा संबंधित पदाधिकारियों को प्राप्त आवेदनों को जांच कराते हुए एक सप्ताह के अंदर जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
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मानपुर अंचल के मुफस्सिल थाना अंतर्गत रसलपुर के व्यक्ति द्वारा आवेदन दिया गया कि उनकी पुश्तैनी जमीन पर मकान बनाने के दौरान दबंगों द्वारा जबरन रोका जा रहा है। जिला पदाधिकारी ने अंचलाधिकारी, मानपुर को उक्त मामले को 7 दिनों के अंदर निष्पादित करते हुए कब्जा दिलाने का निर्देश दिए।
मामलों पर सुनवाई करते डीएम त्याग |
जनता दरबार में जमीन से जुड़ी हुई अधिकांश मामले सामने आए। जिला पदाधिकारी ने संबंधित अंचलाधिकारी तथा थानाध्यक्ष को यथाशीघ्र मामले की सुनवाई करवाते हुए निष्पादित करने का निदेश दिया।
गुरारू प्रखंड के पारस पासवान ने आवेदन दिया कि भूदान से प्राप्त जमीन को स्थानीय लोगों द्वारा मकान निर्माण नही करने दिया जा रहा है। ज़िला पदाधिकारी ने अंचलाधिकारी, गुरारू को जल्द से जल्द मामले की जांच करते हुए कब्जा दिलवाने के निर्देश दिया।
बेलागंज अंचल के सिलौनज पंचायत के जगदीश यादव ने बताया कि राजस्व कर्मचारी मालती कुमारी द्वारा दाखिल खारिज प्रतिवेदन में मृत घोषित कर दिया, जिसे लेकर कई बार अंचल कार्यालय में जाने के पश्चात भी दाखिल खारिज में सुधार नहीं किया गया। जिला पदाधिकारी ने अंचलाधिकारी, बेलागंज को सख्त निदेश दिया कि संबंधित व्यक्ति का नाम सुधारते हुए राजस्व कर्मचारी के विरुद्ध 48 घंटे के अंदर प्राथमिकी दर्ज करावे।
आमस प्रखंड के आफताब आलम द्वारा आवेदन दिया गया कि लगभग 12 गांव में 45 किसानों द्वारा पैक्स गोदाम में धान बेचा गया, परंतु उसके एवज में पैसे का भुगतान किसानों को नहीं किया जा रहा है। जिला पदाधिकारी ने जिला सहकारिता पदाधिकारी को सख्त निर्देश दिया कि 48 घंटे के अंदर संबंधित मामले की जांच करते हुए भुगतान करावे। साथ ही आमस प्रखंड के प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी तथा आमस प्रखंड के संबंधित पैक्स का जांच कराते हुए कार्रवाई करें। जिला पदाधिकारी ने संबंधित व्यक्ति को भी आश्वस्त किया कि उक्त मामले में विस्तार से जांच कराई जाएगी।
गया शहरी क्षेत्र के रीना कुमारी द्वारा आवेदन दिया गया कि नगर निगम में होल्डिंग टैक्स के नाम को स्थानांतरण के लिए अवैध पैसे की मांग अभियंता द्वारा की जा रही है। जिला पदाधिकारी ने नगर आयुक्त, गया नगर निगम को निर्देश दिया कि संबंधित मामले को गंभीरता से जांच करते हुए कार्रवाई करें।
माड़नपुर कपिलधारा अक्षय वट बाईपास के व्यक्ति द्वारा बताया गया कि माड़नपुर वाली मुख्य सड़क काफी जर्जर स्थिति में है। बुडको द्वारा पूरे सड़क को तोड़ कर छोड़ दिया है। जिला पदाधिकारी ने कार्यपालक अभियंता, बुडको एवं पथ निर्माण विभाग को निदेश दिया कि समन्वय स्थापित करते हुए अतिशीघ्र मरम्मत कराना सुनिश्चित करें।
ऐप के सफल क्रियान्वयन समीक्षा
ऐप्प की समीक्षा करते डीएम त्यागराजन |
ज़िला पदाधिकारी, गया डॉ० त्यागराजन एसएम की अध्यक्षता में वंडर ऐप के सफल क्रियान्वयन के संबंध में समीक्षा बैठक की गई।
जिला पदाधिकारी ने बताया कि वंडर ऐप के सही क्रियान्वयन हेतु प्रारंभिक तैयारी किया जा रहा है। प्रारंभिक बैठक भी की गई है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह काफी लाभदायक ऐप है। दरभंगा जिले में काफी महिलाओं को वंडर एप्प के माध्यम से लाभ पहुंचाया जा चुका है। कई गर्भवती महिलाओं की जान बचाई गई है।
जिला पदाधिकारी ने बताया की वंडर ऐप की देखरेख हेतु सहायक समाहर्त्ता को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। उन्होंने बताया कि इस ऐप का शुभारंभ बोधगया प्रखंड से किया जा रहा है तथा प्राप्त फीडबैक के आधार पर अन्य प्रखंडों में भी जल्द से जल्द प्रारंभ किया जाएगा। वंडर ऐप के सही क्रियान्वयन हेतु सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं की समस्याएं यथा अनीमिया, बीपी अधिक रहना, साथ ही जो अंतिम समय में रक्तस्राव से जो मृत्यु होती है, उसकी रोकथाम टेक्नोलॉजी एवं प्रशिक्षण के द्वारा इस ऐप के माध्यम से काफी हद तक कम किया जा सकता है।
जिला पदाधिकारी ने बताया कि इस ऐप के माध्यम से किसी गर्भवती महिला में हीमोग्लोबिन, आयरन या अन्य तत्वों की कमी है, तो डाटा अपलोड करते ही पीएचसी के चिकित्सकों के मोबाइल में मौजूद ऐप में संकेत आने लगता है।
उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला के टेस्ट रिपोर्ट के परिणाम को इस ऐप में अपलोड किया जाता हैं। यदि कोई भी आंकड़ा नॉर्मल से कम होता है, तो तुरंत अलार्म बजता है और एक अलर्ट जारी होता है। अगर रिपोर्ट में किसी तत्व में एकदम मामूली कमी है और दवा की ज़रूरत नहीं है, लेकिन देखभाल की ज़रूरत है, तो येलो (पीला) अलर्ट आता है। सब कुछ सामान्य होने पर ग्रीन सिग्नल आता है।
जिलाधिकारी ने बताया कि अलर्ट आने पर सुविधा ये होती है कि हमें पता चल जाता है कि किन गर्भवती महिलाओं पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है और उसी हिसाब से हम लोग एएनएम, आशा व जीविका दीदियों को संबंधित गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखने हेतु निदेशित कर सकते हैं।
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वंडर ऐप में रेफरल मामलों के लिए भी विशेष फीचर है, जो बहुत कारगर है। मसलन, अगर एक गर्भवती महिला को पीएचसी लाया गया है, लेकिन मामला संगीन है और उसे मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में रेफर किया जाना है, तो मोबाइल ऐप में महिला की बीमारी का ज़िक्र करते हुए रेफर का विकल्प डाल दिया जाता है। ये अलर्ट मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के अधीक्षक व अन्य अधिकारियों के मोबाइल पर पहुंच जाता है।
उन्होंने उदाहरण दिया कि यदि किसी महिला को ख़ून की ज़रूरत है, तो इसका ज़िक्र वंडर ऐप में कर दिया जाता है। अस्पताल के अधीक्षक व अन्य अधिकारियों के पास ये अलर्ट महज़ तीन सेकेंड में पहुंच जाता है कि एक महिला कुछ देर में अस्पताल आ रही है और उसे खून की आवश्यकता है, तो वे पहले से ही खून का इंतजाम कर लेंगे।
ज़िले में वंडर ऐप से गर्भवती महिलाओं को ट्रैक करने और समुचित इलाज में काफी हद तक मदद मिलेगी। जिला पदाधिकारी ने सभी अधिकारियों से समन्वय एवं अपेक्षित सहयोग की अपील की है। ये ऐप निश्चित तौर पर मातृत्व मृत्यु दर कम करने में मदद करेगा।
इस अवसर पर सहायक समाहर्ता, अधीक्षक, अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल, सिविल सर्जन, डीपीएम स्वास्थ्य, मगध मेडिकल के डायग्नोलॉजिस्ट सहित अन्य पदाधिकारी एवं चिकित्सक उपस्थित थे।
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