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महोत्सव के लिए तपोवन में बनाया जा रहा है भव्य पंडाल |
तपोवन महोत्सव की तैयारी जोरों पर
मकर संक्रांति के मौके पर 14 जनवरी को आयोजित होता है महोत्सव
शिव नगरी है तपोवन
वहां शिव लिंग की नहीं, शिव कपाल की होती है पूजा
असल में तपोवन में हीं बुद्ध को ज्ञान का बोध हुआ था
गया : जाहिर हो अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल तपोवन में 14 जनवरी मकर- संक्रांति के पवित्र मौके पर तपोवन महोत्सव का आयोजन जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है। जिसकी तैयारी तपोवन में जारी है। गर्म कुंडों की साफ- सफाई सहित महोत्सव की तमाम व्यवस्थाएं की जा रही है।
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तपोवन तप्तजल धारा का कुंड |
ज्ञात हो तपोवन की गर्म जलधारा में स्नान कर तपस्वी बुद्ध, वहां से बोधगया गए थे। उसके उपरांत ही महात्मा बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जो इतिहास में वर्णित है। पर्यटन स्थल तपोवन का खास महत्त्व है। यही वजह है की तपोवन में बुद्ध की आकर्षक मूर्ति स्थापित है। क्योंकि महात्मा बुद्ध की तपः स्थली है तपोवन। उनकी तप से सिंचित है तपोवन का कण- कण।
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तपोवन का ब्रह्मकुंड |
ब्रम्हाजी का तपः स्थली है तपोवन। ब्रम्हा के चारो पुत्र क्रमशः सनक, सनंदन, सनातन और सनतकुमार के नाम पर वह चारो गर्म कुंड अवस्थित है। ज्ञात हो तपोवन में चार गर्म कुंड का जल स्रोत है। जो बारहो मास प्रवाहित रहता है। यह प्रकृति का अनमोल वरदान है। पहाड़ी मनोरम वादियों के बीच बसा है तपोवन। वह इलाका मनभावन है हीं, मनलुभावन भी। वहां अनोखी तप्त जल धारा का कुंड है। जिसमें लोग स्नान करते अघाते नहीं। जड़ी- बूटी मिश्रित जलधारा अमृत सा है। गर्म कुंड में स्नान से मन- मियाज एकदम तरोताजा हो जाता है। वह पाचन क्रिया के लिए भी काफी फायदेमंद है। उस गर्म जल के पान से पाचन क्रिया दुरुस्त हो जाता है। उस तप्तजल से चर्म रोग भी ठीक हो जाता है।
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यहां भगवान शिव भोले भंडारी के शिव कपाल की पूजा की जाती है। जो सबसे बड़ी बात है हीं, अनूठी भी। बहुत कम ही स्थान पर शिव कपाल की पूजा होती है। यानि शिव के मस्तक की पूजा की जाती है। जो ज्ञान- विवेक देने वाले हैं। वहां कपिलेश्वर शिव विरजमान हैं।
यही वजह है कि वहां महात्मा बुद्ध भी गए। सिद्ध पीठ तपोवन के कपिलेश्वर शिव का आशीर्वाद लिए थे।
असल में तपोवन में हीं बुद्ध को ज्ञान का बोध हुआ था।
बाद में उनके ज्ञान का विस्तार बोधगया से हुआ। शिवालय में शिव लिंग नहीं, शिव कपाल की पूजा- अर्चना की जाती है।
जो अन्य शिवालाओं से भिन्न है। तपोवन में शिव कपाल की जय-जयकार होती है। शिव भोले भंडारी औघड़दानी देवाधिदेव प्रभु शंकर अपने भक्तों की मुरादें पूरी करते हैं। मान्यता ऐसी है कि भगवान शिव की महिमा ऐसी है कि भक्तों के हरेक मनोकामना पूर्ण करते हैं। उनके जाग्रत दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता है। बसहा वाले औघड़दानी बाबा सबों का कल्याण करते, झोली भरते हैं। ऐसी उनकी अपरंपार महिमा है।
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प्रकृति की गोद में बसा मनोरम तपोवन |
ऐसी उस जल की खासियत है। तपोवन के महत्त्व का वर्णन धार्मिक ग्रंथो में मिलता है। इस पर्यटन स्थल का वर्णन गया गजेटियर में शामिल है। जाहिर हो टेटारु ग्राम के भूखंड पर अवस्थित है पर्यटन स्थल तपोवन। जो हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए महान सनातन धर्म स्थल है। पिछले कई सालो से वहां तपोवन महोत्सव मनाने का सिलसिला जारी है। महोत्सव एक दिवसीय होता है।
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तपोवन मेला को राजकीय मेला का दर्जा |
तपोवन मेला को राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त है। महोत्सव में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। जिसमें प्रसिद्ध कलाकार भाग लेते हैं। जिले में साल का पहला महोत्सव यहीं से प्रारंभ होता है। जो अनूठा होता है। तपोवन का विकास अब धीरे- धीरे चहुँमुखी विकास की ओर निरंतर बढ़ रहा है। अब तपोवन भव्य होता जा रहा है। देशी- विदेशी सैलानियों का अनवरत आना- जाना लगा रहता है। बोधगया और राजगीर बुद्ध सर्किट के बीचोबीच अवस्थित है अंतर्राष्टीय पर्यटन स्थल तपोवन। यह तपोवन बिहार की शान है। और गया जिले का गहना है हीं, ताज भी।
शुक्रवार को आयोजित होने वाला DM का जनता दरबार स्थगित
गया : प्रत्येक शुक्रवार को आयोजित होने वाले जनता दरबार, नगर निकायों के नव निर्वाचित महापौर/ उपमहापौर/ वार्ड पार्षदो के शपथ ग्रहण कार्यक्रम आयोजित रहने के कारण कल दिनांक 13 जनवरी 2023 (शुक्रवार) को DM का जनता दरबार को स्थगित रखा गया है।
अतः आप सभी को सूचित किया जाता है कि आगामी शुक्रवार अर्थात 13 जनवरी को जनता दरबार में न आवें।
- AnjNewsMedia Presentation
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